परिचय
भारत का स्वतंत्रता दिवस हर साल 15 अगस्त को मनाया जाता है। यह दिन हमारे देश की आज़ादी और गर्व का प्रतीक है। 15 अगस्त 1947 को भारत ने अंग्रेजों की गुलामी से आज़ादी पाई।
इस दिन देश के कोने-कोने में तिरंगा लहराया जाता है, देशभक्ति गीत गाए जाते हैं और लोग एक-दूसरे को आज़ादी की शुभकामनाएं देते हैं। यह सिर्फ एक छुट्टी का दिन नहीं, बल्कि एक ऐसा दिन है जो हमें यह याद दिलाता है कि आज़ादी पाने के लिए कितने बलिदान दिए गए।
भारत की आज़ादी का इतिहास

भारत लगभग 200 साल तक अंग्रेजों का गुलाम रहा। अंग्रेजों ने हमारे संसाधनों का शोषण किया और भारतीयों को अपने ही देश में दूसरे दर्जे का नागरिक बना दिया।
आज़ादी पाने के लिए कई आंदोलन, विद्रोह और बलिदान हुए।
कुछ बड़े आंदोलन और घटनाएँ:
- 1857 की क्रांति – यह भारत का पहला स्वतंत्रता संग्राम था। मंगल पांडे, रानी लक्ष्मीबाई, तात्या टोपे जैसे वीरों ने इसमें अपनी जान की परवाह नहीं की।
- 1885 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का गठन – इसने आज़ादी की लड़ाई को संगठित रूप दिया।
- 1905 का बंगाल विभाजन विरोध – इस आंदोलन ने स्वदेशी वस्तुओं के इस्तेमाल और विदेशी सामान के बहिष्कार को बढ़ावा दिया।
- 1919 का जलियांवाला बाग कांड – अंग्रेज जनरल डायर ने निहत्थे लोगों पर गोलियाँ चलवाईं, जिससे देश में गुस्से की लहर दौड़ गई।
- 1920-22 का असहयोग आंदोलन – महात्मा गांधी के नेतृत्व में अंग्रेजों के खिलाफ शांतिपूर्ण आंदोलन।
- 1930 का नमक सत्याग्रह – गांधी जी का दांडी मार्च, जिसमें नमक कानून तोड़ा गया।
- 1942 का भारत छोड़ो आंदोलन – “अंग्रेज़ो भारत छोड़ो” के नारे के साथ आज़ादी की अंतिम लड़ाई।
आखिरकार, 15 अगस्त 1947 को भारत स्वतंत्र हुआ और पंडित जवाहरलाल नेहरू ने लाल किले से तिरंगा फहराया।
महान स्वतंत्रता सेनानी और उनका योगदान
भारत की आज़ादी लाखों लोगों के त्याग और बलिदान का नतीजा है।
- महात्मा गांधी – अहिंसा और सत्य के मार्ग पर चलकर अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर मजबूर किया।
- भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु – क्रांतिकारी आंदोलन में अपनी जान की कुर्बानी दी।
- सुभाष चंद्र बोस – आज़ाद हिंद फौज बनाकर अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी।
- रानी लक्ष्मीबाई – 1857 की लड़ाई में अपनी वीरता से अंग्रेजों को चकित कर दिया।
- सरदार वल्लभभाई पटेल – आज़ादी के बाद रियासतों को मिलाकर एक भारत बनाने में योगदान दिया।
- बाल गंगाधर तिलक – “स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है” का नारा दिया।
15 अगस्त का महत्व
15 अगस्त का महत्व सिर्फ आज़ादी तक सीमित नहीं है।
- आज़ादी की याद – हमें यह दिन बताता है कि आज़ादी कितनी कठिनाई और संघर्ष से मिली।
- देशभक्ति की भावना – पूरे देश में एकजुटता और भाईचारे की भावना जगाता है।
- बलिदानों का सम्मान – यह दिन शहीदों और स्वतंत्रता सेनानियों को याद करने का मौका है।
- नए संकल्प का दिन – देश के विकास और प्रगति के लिए नई योजनाएं बनाने का समय है।
स्वतंत्रता दिवस कैसे मनाया जाता है
दिल्ली में मुख्य कार्यक्रम
- हर साल प्रधानमंत्री लाल किले से तिरंगा फहराते हैं।
- 21 तोपों की सलामी दी जाती है।
- राष्ट्रगान गाया जाता है और प्रधानमंत्री देश को संबोधित करते हैं।
- सेना और पुलिस की परेड होती है।
स्कूल और कॉलेजों में
- झंडारोहण होता है।
- बच्चे देशभक्ति गीत, नाटक और कविताएं प्रस्तुत करते हैं।
- मिठाइयां बांटी जाती हैं।
पूरे देश में
- सरकारी और निजी संस्थानों में झंडारोहण होता है।
- घरों, दुकानों और गाड़ियों पर तिरंगा लगाया जाता है।
- सोशल मीडिया पर देशभक्ति पोस्ट और वीडियो शेयर किए जाते हैं।
आज के समय में स्वतंत्रता दिवस का संदेश
भले ही हम अंग्रेजों की गुलामी से आज़ाद हो गए हैं, लेकिन हमारे देश में अभी भी कई चुनौतियां हैं – गरीबी, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और अशिक्षा। स्वतंत्रता दिवस हमें यह याद दिलाता है कि आज़ादी का मतलब सिर्फ बाहरी गुलामी से छुटकारा नहीं, बल्कि हर उस बंधन से मुक्ति है जो देश की प्रगति में रुकावट डालता है।
स्वतंत्रता दिवस से जुड़े रोचक तथ्य
- भारत के साथ दक्षिण कोरिया और कांगो भी 15 अगस्त को अपना स्वतंत्रता दिवस मनाते हैं।
- 1947 में तिरंगे में अशोक चक्र जोड़ा गया, जिसमें 24 तीलियाँ हैं।
- तिरंगे के रंगों का मतलब – केसरिया (साहस), सफेद (शांति) और हरा (समृद्धि)।
- पहला स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त 1947 को लाल किले पर मनाया गया।
निष्कर्ष
भारत का स्वतंत्रता दिवस सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि एक जिम्मेदारी भी है। हमें अपने शहीदों के बलिदान को हमेशा याद रखना चाहिए और देश को आगे बढ़ाने के लिए ईमानदारी से काम करना चाहिए।